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CP जोशी को नया राजस्थान प्रमुख बनाकर BJP को मिलेगी हर मुश्किल से निजात?

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राजस्थान में विधानसभा चुनाव से आठ महीने पहले बीजेपी ने सतीश पूनिया की जगह चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी को बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संगठन में अहम बदलाव किया है. चंद्र प्रकाश जोशी चित्तौड़गढ़ से दो बार के लोकसभा सांसद हैं. उन्होंने इस सीट से पहली बार 2014 और फिर 2019 में चुनाव जीता. जोशी बीजेपी की यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं.एबीवीपी के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले जोशी को राजस्थान की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले पूनिया को राष्ट्रीय संगठन में भेजा जा सकता है.वह पीएम मोदी की तुलना भगवान राम से करने को लेकर सुर्खियों में आए थे. एबीवीपी के साथ अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने के बावजूद सीपी जोशी संघ के भी काफी करीब रहे हैं. जोशी को राजस्थान में संगठन का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया है और 47 साल की उम्र में जोशी अपने 58 साल के पूर्ववर्ती पूनिया से तुलनात्मक रूप से उम्र में छोटे हैं.

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जोशी के जरिए क्या ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश

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कहा जा रहा है कि पूनिया को अब राष्ट्रीय संगठन में जगह मिल सकती है.बीजेपी में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रहे टकराव के बीच इस बदलाव का राजनीतिक मतलब हैं.उम्मीद है कि विपक्ष के नेता की भी नियुक्ति जल्द ही होगी.जयपुर में हाल ही में हुई ब्राह्मण महापंचायत के दौरान ब्राह्मण सीएम की मांग उठने के बाद यह कदम उठाया गया है. सीपी जोशी ने भी ब्राह्मण महापंचायत में हिस्सा लिया और माना जा रहा है कि राजस्थान में ब्राह्मण वोट को आकर्षित करने के लिए बीजेपी ने ये फैसला लिया है. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे को लेकर चिंतित लगता है, क्योंकि वह राजस्थान की अगली मुख्यमंत्री बनने की अपनी इच्छा को लेकर काफी दृढ़ हैं.साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के नेताओं को खुद को व्यवस्थित करने और राज्य इकाई को एकजुट रहने की हिदायत दी है. हाल ही में वसुंधरा राजे और पूनिया ने दो अलग-अलग रैलियां कीं जिस पर लोगों का ध्यान गया.

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जब राजे-पूनिया ने एक ही दिन किए अलग कार्यक्रम

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जहां राजे ने चुरू में रैली की, वहीं पूनिया ने पेपर लीक को लेकर जयपुर में सरकार विरोधी मार्च की अगुवाई की. इन घटनाओं को उनके राजनीतिक कौशल के प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है. राजे ने अपने 70वें जन्मदिन के मौके पर एक बड़ी सभा को संबोधित करने से पहले चूरू जिले के सालासर बालाजी धाम में बालाजी मंदिर में पूजा-अर्चना की. उनका जन्मदिन आमतौर पर 8 मार्च को मनाया जाता है मगर इस साल होली होने के कारण यह 4 मार्च को मनाया गया. दूसरी ओर बीजेपी की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा ने उसी दिन पेपर लीक और राजस्थान में बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन तत्कालीन राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया की अगुवाई में किया गया. हालांकि, इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई. पूनिया के समर्थकों ने उनसे जयपुर में मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने को कहा, जबकि राजे के समर्थकों ने उन्हें सालासर में उनके जन्मदिन समारोह में आमंत्रित किया.इस बीच बीजेपी के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने पार्टी के भीतर आपसी कलह की किसी भी धारणा को खारिज कर दिया और कहा कि एक दिन में एक से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित करना कोई महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है.

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कौन होगा बीजेपी का CM चेहरा?

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बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही राजस्थान विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ने की पार्टी की मंशा जाहिर कर चुके हैं.अगर राज्य में बीजेपी की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री के बारे में फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा.राज्य बीजेपी के भीतर पद के दावेदारों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सांसद बालकनाथ, सांसद अर्जुन राम मेघवाल और ओम माथुर शामिल हैं. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के शीर्ष तीन उम्मीदवारों में वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत और सतीश पूनिया ही हैं.

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‘पूनिया का कार्यकाल खत्म हुआ इसीलिए जोशी को चुना’

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अब पार्टी ने एक ब्राह्मण सीपी जोशी के रूप में एक नया चेहरा उतार दिया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी राज्य में आंतरिक राजनीति को कैसे संभालती है.जयपुर के एक बीजेपी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बात की और कहा कि अध्यक्ष पद में बदलाव एक नियमित संगठनात्मक अभ्यास है. उन्होंने कहा कि प्रदेश बीजेपी प्रमुख के रूप में पूनिया का कार्यकाल पिछले सितंबर में ही समाप्त हो गया था इसलिए उनकी जगह सीपी जोशी को नियुक्त करना एक नियमित प्रक्रिया है. इसे अन्यथा नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजस्थान में पार्टी पीएम मोदी के नेतृत्व में एकजुट है. उन्होंने कहा कि बीजेपी जैसी कैडर आधारित पार्टी में जाति महत्वपूर्ण नहीं होती. एक अन्य वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा कि जोशी के चयन में एक महत्वपूर्ण खासियत यह है कि उनका किसी विशेष समूह से कोई जुड़ाव नहीं है.यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि इस बात को लेकर संघर्ष चल रहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा. इस पद के लिए कई दावेदार हैं.

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