REPRORT TIMES
ओडिशा में ट्रेन एक्सीडेंट के बाद अब एंटी कॉलिजन सिस्टम (कवच)की चर्चा है. इस सिस्टम का इस्तेमाल भारतीय रेलवे मानवीय भूल के कारण होने वाले हादसों को रोकने के लिए करता है. हालिया रेल एक्सीडेंट के बाद चर्चा है कि क्या उस ट्रेन और रूट को एंटी कॉलिजन सिस्टम से जोड़ा गया था या नहीं. हालांकि, रेल मंत्रालयके प्रवक्ता ए एम चौधरी का कहना है कि ओडिशा के बालासोर में जहां हादसा हुआ है उस रूट में एंटी कॉलिजन सिस्टम नहीं लगा था.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे अब तक 65 ट्रेनों में ऐसी डिवाइस लगाई जा चुकी हैं जो सिस्टम से कनेक्ट रहती हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर क्या होता है एंटी कॉलिजन सिस्टम और कैसे यह हादसे को रोकने में मदद करता है.
क्या है एंटी कॉलिजन सिस्टम?
एंटी कॉलिजन सिस्टम का इस्तेमाल मानवीय भूल से होने वाले रेल हादसों को रोकने के किया जा रहा है. यह एक तरह का वॉर्निंग सिस्टम है. यह उस स्थिति में काम करता है जब एक ही ट्रैक पर आमने-सामने ट्रेन या कोई अवरोध आ जाता है. इस अलर्ट सिस्टम के कारण रेल हादसों को रोका जा सकता है. पिछले कुछ समय में रेलवे ने तेज गति से चलने वाली ट्रेनों में इस अलर्ट सिस्टम को लगाया है.
कैसे काम करता है अलर्ट सिस्टम?
एंटी कॉलेजन डिवाइस का अलर्ट सिस्टम पटरियों पर मौजूद बाधाओं को पता लगाने का काम करता है. इस सिस्टम के जरिए रेलवे पटरी और ट्रेन इंजन के रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम के बीच तालमेल को चेक करता है. जैसे ही ट्रेन की पटरी पर कोई बाधा आती है तो अलर्ट सिस्टम संकेत भेजता है. यही वजह है कि घने कोहरे और अंधेरे में भी लोको पायलट को पटरी पर मौजूद बाधाओं जानकारी मिलती है. रेलवे की तरफ से दावा किया है कि साल 2022-2023 में देश के दो हजार रेल रूट्स को इससे जोड़ने की योजना बनाई गई है. शुरुआती दौर में इसके ट्रायल के बाद ही देश की दक्षिण मध्य रेलवे की 65 ट्रेनों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, रेलवे ने इसके लिए ट्रायल 2016 से शुरू कर दिया था.
क्या है एंटी कॉलिजन सिस्टम?
एंटी कॉलिजन सिस्टम का इस्तेमाल मानवीय भूल से होने वाले रेल हादसों को रोकने के किया जा रहा है. यह एक तरह का वॉर्निंग सिस्टम है. यह उस स्थिति में काम करता है जब एक ही ट्रैक पर आमने-सामने ट्रेन या कोई अवरोध आ जाता है. इस अलर्ट सिस्टम के कारण रेल हादसों को रोका जा सकता है. पिछले कुछ समय में रेलवे ने तेज गति से चलने वाली ट्रेनों में इस अलर्ट सिस्टम को लगाया है.
कैसे काम करता है अलर्ट सिस्टम?
एंटी कॉलेजन डिवाइस का अलर्ट सिस्टम पटरियों पर मौजूद बाधाओं को पता लगाने का काम करता है. इस सिस्टम के जरिए रेलवे पटरी और ट्रेन इंजन के रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम के बीच तालमेल को चेक करता है. जैसे ही ट्रेन की पटरी पर कोई बाधा आती है तो अलर्ट सिस्टम संकेत भेजता है. यही वजह है कि घने कोहरे और अंधेरे में भी लोको पायलट को पटरी पर मौजूद बाधाओं जानकारी मिलती है. रेलवे की तरफ से दावा किया है कि साल 2022-2023 में देश के दो हजार रेल रूट्स को इससे जोड़ने की योजना बनाई गई है. शुरुआती दौर में इसके ट्रायल के बाद ही देश की दक्षिण मध्य रेलवे की 65 ट्रेनों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, रेलवे ने इसके लिए ट्रायल 2016 से शुरू कर दिया था.
रेल मंत्री ने ट्वीट किया था कवच सिस्टम के ट्रायल का वीडियो
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले साल कवच के ट्रायल का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, जैसे ही ट्रेन गेट के पास पहुंचती है कवच का सिस्टम सीटी बजाकर अलर्ट करता है. केंद्रीय रेल मंत्री के मुताबिक, यह एंटी कोलिजन तकनीक भारत में विकसित की गई है, जिसे SIL4 सर्टिफिकेट मिला हुआ है. इसका मतलब है, अगले 10 हजार साल में मात्र एक बार ही इसमें एरर आ सकता है. इसे इसलिए लाया गया है ताकि ट्रेन एक्सीडेंट्स के आंकड़े को जीरो किया जा सके.