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पश्चिम बंगाल में रामनवमी पर हिंसा मामले में एनआईए मामले में राज्य सरकार के व्यवहार पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पर लाखों रुपये खर्च कर रही है और जब फैसला उनके खिलाफ जाता है, तो फिर हाईकोर्ट आती है. रामनवमी अशांति मामले पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य की आलोचना की थी. बता दें कि हाल के कई मामलों में देखा गया है. राज्य ने एकल पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच का दरवाजा खटखटाया है. वहां भी फैसला पक्ष में नहीं आया तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. राज्य के कई मामले अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले को नजरअंदाज नहीं किया है.जस्टिस जॉय सेनगुप्ता की पीठ रामनवमी मामले की सुनवाई कर रही थी, लेकिन इस मामले में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह स्पष्ट कर दिया है कि रामनवमी दंगों की जांच का जिम्मा एनआईए के पास होगा. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की अपील खारिज कर दी.
सर्वोच्च न्यायालय ने एनआईए जांच को रखा है बरकरार
बता दें कि पश्चिम बंगाल में रामनवमी के दौरान हावड़ा और हुगली के कई जिलों में हिंसा हुई थी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने हिंसा की जांच का आदेश एनआईए को करने का आदेश दिया था, लेकिन बंगाल सरकार ने इस फैसले को चुनौती दी थी. कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया है. उससे राज्य सरकार स्वाभाविक रूप से नाखुश है. दूसरे, शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि राज्य पुलिस को जांच के संबंध में सभी दस्तावेज एनआईए को सौंपने होंगे, लेकिन एनआईए ने आरोप लगाया कि उन्हें राज्य से कोई दस्तावेज़ नहीं मिला.
राज्य सरकार ने फिर से हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
इस बीच, सोमवार को एक बार फिर न्यायाधीश जय सेनगुप्ता की अदालत ने रामनवमी दंगों की एनआईए जांच के केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती देने की अनुमति मांगी. लेकिन याचिका में कहीं भी यह जिक्र नहीं किया गया कि शीर्ष अदालत पहले ही एनआईए को जांच सौंपने का आदेश दे चुकी है और दस्तावेज जमा करने का भी निर्देश दे चुकी है. केंद्र की ओर से वकील ने पूछा कि इस संबंध में एक मामले की सुनवाई पहले ही जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य की बेंच में हो चुकी है. लेकिन चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही आदेश दे दिया था, इसलिए उन्होंने मामला छोड़ दिया, क्योंकि यह उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर था.