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कांग्रेस के खिलाफ महाघेराव से वसुंधरा राजे की दूरी, बीजेपी के लिए संदेश या चेतावनी?

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राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को घेरने में जुटी है. कानून व्यवस्था के मुद्दे पर गहलोत की सरकार को कठघरे में खड़े करने के लिए बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता मंगलवार को जयपुर की सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया, लेकिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे नदारद रहीं. पीएम मोदी ने सीकर की जनसभा को संबोधित करते हुए ‘नहीं सहेगा राजस्थान’ का आव्हान किया था. इसके बाद भी वसुंधरा राजे ने गहलोत सरकार के खिलाफ महाघेराव से दूरी बनाए रखा, जिसे लेकर अब सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं?

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प्रदर्शन में दिग्गज नेता रहे मौजूद

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मंगलवार को हुए इस प्रदर्शन में बीजेपी के कई बड़े नेता शामिल थे. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी से लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह सेखावत, राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, विपक्ष के नेता गजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया ने इस प्रदर्शन के जरिए गहलोत सरकार को जमकर घेरा. मगर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस महाघेराव में कहीं नजर नहीं आईं. राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने कानून व्यवस्था, महिलाओं के खिलाफ अपराध और पेपर लीक जैसे मुद्दों पर गहलोत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. बीजेपी ने कहा कि राजस्थान की जनता गहलोत सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हैं. सीपी जोशी ने कहा कि यह आक्रोश इस नाकारा और महाभ्रष्ट कांग्रेस सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकेगा. इस तरह बीजेपी ने गहलोत सरकार को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर पूरी तरह से असफल बताने का नैरेटिव सेट करने की कवायद किया.

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वसुंधरा राजे ने क्यों बनाई दूरी ?

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कांग्रेस के खिलाफ इस महाघेराव अभियान से वसुंधरा राजे की राजनीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं. सियासी गलियारों में एक ही चर्चा है कि वसुंधरा राजे क्यों शामिल नहीं हुई. गहलोत सरकार के खिलाफ इस महाप्रदर्शन में बीजेपी के कई दिग्गज नेता शामिल थे, लेकिन इससे वसुंधरा का नदारद होना बहुत कुछ इशारा करता है. इस साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव है. बीजेपी ने किसी भी चेहरे को आगे नहीं किया है जबकि वसुंधरा राजे चाहती हैं कि पार्टी उन्हें सीएम पद के उम्मीदवार को तौर पर प्रोजेक्ट करें. बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है. वसुंधरा राजे को जेपी नड्डा टीम में उपाध्यक्ष बनाया गया, लेकिन उनकी इच्छा तो सीएम चेहरे की है. ऐसे में महाघेराव में शामिल न होने के पीछे इससे ही जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, उन्होंने ट्वीट कर जरूर कहा कि जयपुर का महाघेराव जनता के इसी रोष का परिणाम है! बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब वसुंधरा किसी बड़े कार्यक्रम से दूरी बनाई हो. इससे पहले भी वह जेपी नड्डा के एक कार्यक्रम दौरान नाराज होकर जल्दी चली गई थीं.

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वसुंधरा क्या हाईकमान को दे रही संदेश?

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ऐसे में सवाल तो ये भी उठता है कि क्या वसुंधरा बीजेपी आलाकमान से नाराज चल रही हैं? क्या वह बीजेपी हाईकमान को कोई संदेश देना चाहती हैं? ये कुछ सवाल हैं जो राजस्थान की सियासी हलकों में तैर रहे हैं. कहा ये भी जा रहा है कि वसुंधरा राजे की नाराजगी राजस्थान की राजनीति में कुछ बड़ा कर सकता है, क्योंकि वसुंधरा राजे अभी भी राजस्थान में बीजेपी का लोकप्रिय चेहरा हैं. बीजेपी उन्हें सियासी अहमियत नहीं देंगी तो वो भी खुद को किनारा रख सकती हैं.

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सीएम फेस पर सस्पेंस से बेचैन

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राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. मगर सीएम फेस पर सस्पेंस बना हुआ है. वसुंधरा राजे अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं है. उधर, बीजेपी सीएम फेस को लेकर कुछ खुलासा करना नहीं चाहती. ऐसे में राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है. वसुंधरा की नाराजगी का एक ये भी कारण हो सकता है.

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बीजेपी की सत्ता में कैसे होगी वापसी

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राजस्थान में बीजेपी सत्ता में वापसी करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. सीकर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली से इसकी शुरुआत हो गई थी. इस रैली में पीएम मोदी ने गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा था. गहलोत की लाल डायरी से लेकर भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था सहित कई मुद्दों पर कांग्रेस को घेरा था. राजस्थान में वैसे भी एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी की सत्ता में वापसी होती है. इस हिसाब से देखा जाए तो बीजेपी इस बार सत्ता में वापसी कर सकती है. माहौल भी पिछले कुछ समय से बीजेपी के पक्ष में जाता दिख रहा है. बीते पांच साल में गहलोत और पायलट की जंग ने कांग्रेस को उलझा कर रख दिया. वहीं, अब राजेंद्र गुढ़ा की बर्खास्तगी कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है. उधर, बीजेपी कांग्रेस पर लगातार हमलावर है. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि राजस्थान में इस बार बीजेपी की वापसी हो सकती है.

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