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चंद्रयान-3 में अभी सब ‘चंगा’ लेकिन चांद पर उतरने से ठीक पहले क्या होगा?

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देश आज 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, इस ऐतिहासिक पल से कुछ ही दिन के अंतर पर एक और अहम पल देश का इंतजार कर रहा है. चंद्रयान-3 23 अगस्त को चांद की सतह पर लैंड कर सकता है, यानी ये आखिरी हफ्ता चल रहा है और वैज्ञानिकों की मानें तो यह काफी महत्वपूर्ण पल भी है. पिछली बार चंद्रयान की लैंडिंग सफल नहीं हुई थी, लेकिन इस बार इसरो ने सभी तैयारियां की हैं, आपको बताते हैं कि लैंडिंग से ठीक पहले आखिर चंद्रयान-3 के साथ क्या होगा… चंद्रयान-3 की लैंडिंग की अहम प्रक्रिया 16 अगस्त को शुरू होगी, जब उसकी कक्षा को धीरे-धीरे घटाना शुरू किया जाएगा. लैंडिंग में कई इलेक्ट्रोनिक और मैकेनिक पहलू हैं, जो सेफ और सॉफ्ट लैंडिंग को अंजाम देंगे. समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, इसमें नेविगेशन सेंसर्स, गाइडेंस, कंट्रोल सिस्टम जैसे अहम प्वाइंट हैं जो लैंडिंग के वक्त काम करेंगे. इनके अलावा लैंडिंग रोवर से जुड़ी तकनीकी चीज़ों पर भी जोर दिया जा रहा है.

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इसरो चैयरमैन ने समझाया कैसे लैंड करेगा चंद्रयान-3?

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इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ ने हाल ही में चंद्रयान-3 की लैंडिंग से जुड़ी अहम जानकारियां साझा की थीं. उन्होंने दावा किया था कि इस बार चंद्रयान की लैंडिंग पूरी तरह से पक्की है, क्योंकि इसरो ने पिछली नाकामी से सबक लिया है और अपनी पूरी तैयारी की है. एस. सोमनाथ के मुताबिक, लैंडिंग से सभी चीज़ें अभी पूरी तरह से सही चल रही हैं.23 अगस्त की लैंडिंग से पहले कई तरह के तरीके (maneuver) अपनाए जाएंगे, ताकि लैंडिंग पूरी तरह से सफल हो पाए. इस maneuver को इसरो में बैठे वैज्ञानिक अंजाम देते हैं, इसकी एक अहम कड़ी 16 अगस्त को होगी जब चंद्रयान-3 ऑर्बिट के 100 किमी करीब होगा. सिर्फ मौजूदा इसरो चेयरमैन ही नहीं बल्कि कई पूर्व चेयरमैन ने भी विश्वास जताया है कि इस बार लैंडिंग सफल होने की उम्मीद ज्यादा है. इसरो चेयरमैन ने जानकारी दी कि अगर चंद्रयान-3 में सबकुछ फेल भी हो जाता है, तब भी विक्रम लैंडर लैंड होगा क्योंकि इसे डिजाइन ही इसी तरह से किया गया है. बस इसके लिए प्रोपल्शन सिस्टम का काम करना जरूरी है. यानी अगर एल्गोरिदम सही काम किया, तो विक्रम की लैंडिंग पक्की है.

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चंद्रयान के साथ आखिरी पल में क्या होगा?

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दरअसल, जब चंद्रयान-3 चांद के बिल्कुल करीब होगा तब उसकी जगह का अंदाज लगाना जरूरी हो जाएगा. इसके बाद ही इसरो में बैठे वैज्ञानिक अपनी प्रक्रिया शुरू करेंगे और विक्रम लैंड होगा. एक बार अगर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग हो जाती है, उसके बाद प्रज्ञान रोवर धीरे-धीरे चांद पर उतारा जाएगा. 14 जुलाई को चंद्रयान-3 के लॉन्च होने से लेकर अभी तक इसके अलग-अलग manoeuvre अंजाम दिए जा चुके हैं, जिसके जरिए चंद्रयान-3 को तेज गति से चांद के करीब पहुंचाया गया. चंद्रयान-3 इसरो के पिछले मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला भाग है, पिछला मिशन लैंडिंग के वक्त फेल हो गया था ऐसे में इसरो ने दोबारा इसे भरपूर तैयारियों के साथ लॉन्च किया. चंद्रयान-3 का मुख्य मिशन चांद पर रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग करवाना है, उसके बाद चांद पर उतरकर अपनी रिसर्च शुरू कर देना है.

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