Report Times
latestOtherउत्तर प्रदेशकरियरटॉप न्यूज़ताजा खबरेंराजनीतिस्पेशल

घोसी: दारा सिंह के साथ हो गया खेल? नहीं मिली विधायकी तो मुश्किल होगी मंत्री पद की राह

REPORT TIMES

Advertisement

उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव पर पूरे प्रदेश की नज़रें टिकी थीं. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में इस सीट के उपचुनाव को एक लिटमेस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है. घोसी इसलिए भी खास थी क्योंकि यहां समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में आए दारा सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन शुरुआत के राउंड में जो ट्रेंड आ रहा है उसमें वह पिछड़ते दिख रहे हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक, घोसी विधानसभा सीट पर शुरुआत के 7 राउंड की गिनती के बाद समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह आगे चल रहे हैं. अभी तक सुधाकर सिंह को 25 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं, जबकि दारा सिंह चौहान को करीब 18 हजार ही वोट मिले हैं. यानी सपा 7 हजार वोट से बढ़त बनाए हुए है. हालांकि, कुल 34 राउंड की गिनती होनी है और ऐसे में अभी नतीजे को लेकर कुछ भी साफ नहीं कहा जा सकता है.

Advertisement

Advertisement

दांव पर दारा सिंह चौहान की राजनीति!

Advertisement

उत्तर प्रदेश में पिछले साल ही विधानसभा चुनाव हुए थे, लेकिन घोसी में फिर से उपचुनाव की नौबत आ गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 2022 में दारा सिंह चौहान ने समाजवादी पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ा था और विधायक बन गए थे, लेकिन एक साल बाद ही उनका मोहभंग हो गया. इसी साल वो भाजपा में शामिल हुए थे, माना जा रहा है कि यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ही उन्हें सपा से तोड़कर भाजपा में वापस लाए थे. दारा सिंह चौहान ने बीजेपी में आने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. दारा सिंह चौहान 2022 से पहले भी भाजपा में ही थे और योगी सरकार-1 में मंत्री पद पर थे. लेकिन चुनाव से ठीक पहले वो सपा में शामिल हुए, अब उनकी घर वापसी हुई थी और उम्मीद थी कि अगर वो ये उपचुनाव जीत जाते हैं तो फिर से योगी मंत्रिमंडल में उनकी एंट्री हो सकती है. लेकिन ये मामला फंसता हुआ नज़र आ रहा है, क्योंकि दारा सिंह यहां हारते हैं तो उनके लिए मुश्किल स्थिति हो सकती है. एक तो वो मंत्री नहीं बन पाएंगे और साथ ही साथ रही सही विधायकी भी चली जाएगी. दारा सिंह चौहान अपने राजनीतिक करियर में कई पार्टियां बदल चुके हैं, कांग्रेस से समाजवादी पार्टी, फिर बसपा, बीजेपी, सपा और अब एक बार फिर बीजेपी में उनकी एंट्री हुई है. चुनाव प्रचार के दौरान यहां बीजेपी और उनके साथियों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था, सिर्फ 15 महीने में ही विधानसभा में फिर से चुनाव होना लोगों को रास नहीं आया. यही वजह रही कि समाजवादी पार्टी को यहां शुरुआती फायदा होता दिख रहा है.

Advertisement
Advertisement

Related posts

वार्ड पांच के युवक की पिलानी में दुकान

Report Times

पहले रोड पर गिराया, फिर अंधाधुंध दागी गोली… धौलपुर में कांग्रेस नेता की हत्या- Video

Report Times

पुलिस चोरों की तलाश में जुटी, टीमों को लगाया

Report Times

Leave a Comment