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राजस्थान विधानसभा चुनाव: गहलोत के कई हैवीवेट मंत्रियों की हालत खराब, सर्वे में खुलासा

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राजस्थान विधानसभा चुनाव के पहले जिन नेताओं का सर्वे डिजाइन बॉक्स और कांग्रेस पार्टी ने कराया है, उसमें तमाम हैवीवेट मंत्रियों की हालत खराब पाई गई है. पिछले 3 महीने से सर्वे चल रहा था और प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों पर सर्वे हुआ है. सर्वे में अलग-अलग नतीजे आए हैं. नेगेटिव भी और पॉजिटिव भी. सबसे ज्यादा चिंता मौजूदा मंत्रियों और विधायकों को लेकर सामने आई है. प्रदेश में लगभग 93 ऐसी सीटें हैं, जिन पर पार्टी कैंडिडेट हैं. वह खुद को कमजोर मान रहे हैं. 52 ऐसी सीट है, जहां कांग्रेस 2008, 2013 और 2018 में हुए पिछले तीन चुनाव लगातार हारी है. 41 ऐसी सीटें हैं, जहां 2008 में जीती, लेकिन उसके बाद 2013 और 2018 के चुनाव में हारी है. 50% से ज्यादा मंत्री-विधायकों को लेकर एंटी इनकंबेंसी सामने आई है. सबसे पहला नाम है शांति धारीवाल का. वह प्रदेश के यूडीएच मिनिस्टर हैं. वह अपने बेटे को चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन जमीनी धरातल पर मंत्री के खिलाफ बहुत ज्यादा नाराजगी है. दूसरा नाम है बीडी कल्ला बी का. कल्ला की भी उम्र काफी हो गई है. बीडी कल्ला बीकानेर से आते हैं. प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री हैं. उस सीट पर पहले तो मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा ही ताल ठोक रहे थे. एंटी इनकंबेंसी की वजह से विरोध बहुत हो रहा है.

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कई मंत्रियों को लेकर नाराजगी

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ममता भूपेश प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. दौसा के सिकराय से चुनाव लड़ती हैं. इस बार पूर्वी राजस्थान से इतने मंत्री बनाए जाने के बावजूद स्थानीय समीकरण ममता भूपेश के पक्ष में नहीं हैं. प्रसादी लाल मीणाकी भी स्थिति अच्छी नहीं है. वह स्वास्थ्य मंत्री हैं और लालसोट से चुनाव लड़ते हैं, लेकिन सर्वे में प्रसादी लाल मीणा चुनाव हार रहे हैं. भजनलाल जाटव पूर्वी राजस्थान से दलित राजनीति में बड़े नाम हैं, पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं, लेकिन स्थानीय लोगों में मंत्री को लेकर बेहद ज्यादा नाराज की है महेश जोशी जयपुर के हवामहल से ब्राह्मण चेहरा हैं. इस बार हवा महल से महेश जोशी भारी मतों से चुनाव जीते थे, लेकिन महेश जोशी का स्थानीय विरोध हो रहा है. साथ ही उनके बेटे को लेकर जो मामले उठे हैं, उसमें भी काफी किरकिरी हुई है. सर्वे में महेश जोशी भी सीट हारते नजर आ रहे हैं. गोविंद सिंह डोटासरा लक्ष्मणगढ़ से बड़े नेता और प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. एक जाट चेहरे के तौर पर सामने आए हैं. उनकी स्थिति बहुत ज्यादा बेहतर नहीं है, लेकिन अन्य नेताओं की तुलना में लक्ष्मणगढ़ सीट से गोविंद दोटाआसरा चुनाव जीते हुए नजर आ रहे हैं.

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कांग्रेस के सर्वे से बढ़ी चिंता

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साले मोहम्मद सरहद के पास जैसलमेर से चुनाव लड़ते हैं, लेकिन इस बार पोकरण में मुस्लिम समुदाय से ही बहुत ज्यादा साले मोहम्मद को लेकर नाराजगी है. प्रताप पुरी महाराज जो कि पिछल बार चुनाव लड़े थे. एक बार फिर से चुनावी मैदान में हुए तो साले मोहम्मद का सियासी समीकरण बिगाड़ सकता है. सर्वे में प्रताप सिंह खचरियावास, जो जयपुर के सिविल लाइन से चुनाव लड़ेंगे, उनकी स्थिति सामान्य है. बीजेपी का कैंडिडेट पर ही प्रताप सिंह खचरियवास के सियासी समीकरण पर निर्भर करेगा. रामलाल जाट भीलवाड़ा से चुनाव लड़ते हैं, लेकिन इस बार सर्वे में रामलाल जाट की स्थिति बेहद खराब है. कई मामलों में रामलाल जाट का नाम उछला है और सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय लीडरशिप में रामलाल जाट कमजोर पड़ रहे हैं. शकुंतला रावत गहलोत सरकार में एक बड़े गुर्जर चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश की गई है, लेकिन स्थानीय विरोध के चलते शकुंतला रावत को लेकर बहुत ज्यादा नाराजगी हैय सर्वे में शकुंतला रावत भी अपनी सीट पर कमजोर पड़ती नजर आ रही है.

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