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पोकरण सीट पर क्या कांग्रेस से बदला ले पाएगी BJP, कांटेदार जंग में मिली थी हार

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राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर खासी सरगर्मी देखी जा रही है. कांग्रेस और बीजेपी समेत सभी प्रमुख दल अपने-अपने प्रयासों में लग गए हैं. जैसलमेर जिले में पड़ने वाली पोकरण विधानसभा सीट पर जोरदार चुनावी जंग की संभावना जताई जा रही है. इस सीट पर चुनाव में धर्म भी अहम भूमिका निभा सकता है. पोकरण विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. पिछले चुनाव में कांटेदार जंग में मुकाबला हारने वाली बीजेपी ने एक बार फिर महंत प्रताप पुरी को मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

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कितने वोटर, कितनी आबादी

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2018 के चुनाव में पोकरण विधानसभा सीट के चुनावी परिणाम की बात करें तो यहां पर बेहद दिलचस्प मुकाबला हुआ था. कांग्रेस ने यहां से मुस्लिम धर्म गुरु सालेह मुहम्मद को मैदान में उतारा था. सालेह मुहम्मद के पिता मुस्लिम समाज के धर्मगुरु गाजी फकीर हैं. जबकि उनके सामने बाड़मेर स्थित तारातरा मठ के प्रमुख महंत प्रताप पुरी थे. सालेह मुहम्मद को चुनाव में 82,964 वोट मिले थे, जबकि प्रताप पुरी के खाते में 82,092 वोट आए. बेहद कड़े मुकाबले में सालेह मुहम्मद को 872 मतों के अंतर से बड़ी मुश्किल से जीत मिली थी. तब के चुनाव में पोकरण सीट पर कुल वोटर्स 1,87,332 थे. इसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 98,819 थी जबकि महिला की संख्या 88,513 थी, जिसमें कुल 1,70,947 (91.9%) वोटर्स ने वोट डाले. चुनाव में NOTA के पक्ष में 1,122 (0.6%) वोट आए.

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कैसा रहा राजनीतिक इतिहास

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पोकरण विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर पिछले 3 चुनावों में 2 बार कांग्रेस को जीत मिली है. 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने सालेह मुहम्मद को मैदान में उतारा और वो चुनाव जीतने में कामयाब रहे. 2013 के चुनाव बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली और शैतान सिंह विधायक चुने गए. हालांकि 2018 में बीजेपी ने उम्मीदवार बदल दिया और प्रताप पुरी को मैदान में उतारा, लेकिन कांटेदार मुकाबले में उन्हें सालेह मुहम्मद के हाथों हार का सामना करना पड़ा.पाकिस्तान से सटे होने और अपने परमाणु परीक्षण के लिए चर्चित पोकरण सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या सबसे अधिक है और यहां पर 55 हजार से अधिक वोटर्स हैं तो 45 हजार के करीब राजपूत वोटर्स आते हैं, जबकि यहां पर एससी तथा एसटी वोटर्स की संख्या 35 हजार के करीब है.

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