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दक्षिण अफ्रीका दौरे पर सिर्फ 3 भारतीय खिलाड़ी तीनों फॉर्मेट में शामिल, ऐसे हालात क्यों बने?

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भारतीय क्रिकेट टीम दक्षिण अफ्रीका में है. इस बार तीनों फॉर्मेट के लिए अलग-अलग टीम चुनी गई है. तीनों टीमों के कप्तान अलग-अलग हैं. टी20 की कमान सूर्यकुमार यादव, वनडे की केएल राहुल और टेस्ट की रोहित शर्मा संभालेंगे. तीनों टीमों का ऐलान भी एक साथ कर दिया गया है. भारतीय क्रिकेट में ये शायद ही कभी हुआ हो कि तीनों टीमों का ऐलान एक साथ कर दिया गया हो. हालांकि मुद्दा ये नहीं है, मुद्दा तो कुछ और ही है. तीनों टीम के खिलाड़ियों को मिला दें तो करीब 30 खिलाड़ी हैं जो भारतीय टीम को अलग-अलग फॉर्मेट में ‘रिप्रेजेन्ट’ करेंगे. लेकिन इस लंबी चौड़ी लिस्ट में सिर्फ 3 खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें टी20, वनडे और टेस्ट तीनों फॉर्मेट के लिए टीम में चुना गया है. सेलेक्टर्स की दूरदर्शिता और इस स्थिति पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि इन तीनों खिलाड़ियों में से दो खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें टेस्ट सीरीज के प्लेइंग 11 में मौका मिलना लगभग नामुमकिन है. पहले आप इन तीनों खिलाड़ियों के नाम जान लीजिए. ये तीनों खिलाड़ी हैं- ऋतुराज गायकवाड़, श्रेयस अय्यर और मुकेश कुमार. इसके अलावा पूरे स्क्वॉड में एक भी खिलाड़ी ऐसा नहीं है जिसे तीनों फॉर्मेट के लिए चुना गया हो. अगर ये प्रयोग किसी खास रणनीति के तहत किया गया है तो वो रणनीति भी चौंकाने वाली ही है.

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दो खिलाड़ियों का टेस्ट खेलना लगभग नामुमकिन

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ऋतुराज गायकवाड़, श्रेयस अय्यर और मुकेश कुमार. इस लिस्ट में श्रेयस अय्यर को छोड़ दें तो ऋतुराज गायकवाड़ और मुकेश कुमार का टेस्ट टीम में चुना जाना लगभग असंभव है. ऐसा इसलिए क्योंकि टेस्ट टीम में भारतीय क्रिकेट के सभी दिग्गज खिलाड़ी वापसी कर लेंगे. टेस्ट टीम में रोहित शर्मा, विराट कोहली की वापसी के बाद ऋतुराज गायकवाड़ की जगह प्लेइंग-11 में नहीं बन पाएगी. शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल जैसे खिलाड़ी भी टेस्ट टीम में हैं ही. अब बात मुकेश कुमार की भी कर लेते हैं. प्लेइंग-11 में उनकी भी संभावना ना के बराबर है. टेस्ट टीम में जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज भी टीम के साथ होंगे. यानी सिर्फ श्रेयस अय्यर इकलौते खिलाड़ी हैं जो तीनों फॉर्मेट के लिए चुने गए हैं और टेस्ट में खेलते भी दिखेंगे. वरना बाकी दोनों खिलाड़ियों के हाथ मायूसी ही लगनी है. कई बार ऐसा कहा जाता है कि किसी नए खिलाड़ी को ड्रेसिंग रूम का ‘फील’ देने के लिए टीम के साथ रखा जाता है. लेकिन फिलहाल जैसी स्थितियां हैं उसमें ऋतुराज गायकवाड़ और मुकेश कुमार दोनों का ही लंबे समय तक टेस्ट क्रिकेट में खेलना मुश्किल है. इसलिए ये ‘थ्योरी’ भी यहां लागू नहीं होती है.

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भारतीय क्रिकेट में क्यों बने ऐसे हालात?

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एक वक्त था जब टीम चुनते वक्त पहले कप्तान का नाम लिखा जाता था, फिर ऐसे खिलाड़ियों का नाम जो तीनों फॉर्मेट में खेल सकते हैं. ये बात ज्यादा पुरानी भी नहीं है. बल्लेबाजों में रोहित शर्मा, विराट कोहली, केएल राहुल जैसे खिलाड़ी ‘ऑटोमैटिक च्वॉइस’ होते थे. लेकिन फिर विराट कोहली के कप्तानी छोड़ने के बाद वक्त बदला. टीम मैनेजमेंट की ‘अप्रोच’ बदली. कोच की सोच भी बदली. अब तो भारतीय टीम में अलग अलग फॉर्मेट को जोड़कर आधा दर्जन से ज्यादा कप्तान खेलते हैं. वो भी रोहित शर्मा और विराट कोहली से अलग. मसलन- केएल राहुल कप्तानी कर चुके हैं. इस सीरीज में भी वनडे फॉर्मेट में वो ही कमान संभाल रहे हैं. इसके अलावा हार्दिक पांड्या, सूर्यकुमार यादव, जसप्रीत बुमराह और ऋतुराज गायकवाड़ भी अलग अलग सीरीज में कप्तानी कर चुके हैं. इस वक्त भी भारतीय क्रिकेट के सामने सबसे बड़ा मसला यही है कि टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की कप्तानी कौन करेगा. रोहित शर्मा ने पिछले एक साल से टी20 फॉर्मेट खेला ही नहीं था. उनकी गैरमौजूदगी में हार्दिक पंड्या टीम इंडिया की कमान संभाल रहे थे. हार्दिक पंड्या वनडे वर्ल्ड कप के दौरान ही चोटिल हो गए थे. इसके बाद से वो टीम से बाहर हैं. उनकी जिम्मेदारी सूर्यकुमार यादव को दी गई है लेकिन वर्ल्ड कप के लिए उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. यानी कुल मिलाकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है.

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हाशिए पर हैं टेस्ट स्पेशलिस्ट?

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टेस्ट स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों को लेकर कई सवाल उठाए जा सकते हैं. मसलन- कहीं ऐसा तो नहीं कि अब कप्तान और कोच भी नहीं चाहते कि तीनों फॉर्मेट में खेलने वाले खिलाड़ियों की ‘पूल’ बड़ा हो? कहीं ऐसा तो नहीं कि टेस्ट के स्पेशलिस्ट खिलाड़ी हाशिए पर चले जाते हैं? टेस्ट के स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों को क्या पूरी तरह से ‘बैक’ किया जाता है? विकेटकीपर केएल भरत का ही उदाहरण ले लीजिए. उन्हें 2023 में पांच टेस्ट मैच में खेलने का मौका मिला. इन पांच मैच में उन्होंने विकेट के पीछे 13 शिकार किए. लेकिन बल्ले से कुछ बड़ा नहीं कर पाए. अब वो सीन से बाहर हैं. इसमें से एक मैच वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल भी है. जिसमें वो दोनों पारियों को मिलाकर 28 रन ही बना पाए थे. अब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम में वो शामिल नहीं किए गए हैं. यही हाल टेस्ट स्पेशलिस्ट चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे का भी है. दोनों भारत के जबरदस्त टेस्ट बल्लेबाजों में से हैं. लेकिन दोनों इस दौरे पर टीम का हिस्सा नहीं हैं. ये दोनों ही खिलाड़ी फिलहाल विजय हजारे ट्रॉफी खेल रहे हैं. दोनों की उम्र भी 35-36 साल ही है. यानी ऐसा भी नहीं कि उम्र के मोर्चे पर ये कमजोर साबित हो रहे हों. लेकिन पिछले कुछ मैचों में बड़ी पारियां ना खेल पाने का नुकसान इन्हें उठाना पड़ रहा है. टेस्ट के स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों के साथ और अधिक संयम दिखाने की जरूरत है.

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