Agniveer: भारतीय सेना में अब जवानों की भर्ती अग्निपथ स्कीम के जरिए होती है। हालांकि, लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने अग्निवीर योजना के मुद्दे को जोर-शोर से जनता के सामने उठाया। इतना ही नहीं, जब बीजेपी ने सरकार बनाई तो उनके सहयोगी दल ने भी अग्निपथ स्कीम में बदलाव की मांग की। इसी तरह, जिस दिन इस स्कीम को लागू किया गया था, उस दिन से रक्षा मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया था कि समय-समय पर इसका रिव्यू किया जाएगा और आवश्यक होने पर परिवर्तन भी किए जाएंगे। ऐसे में अगले 60 दिन काफी अहम बताये जा रहे हैं।
हो सकते हैं कई अहम बदलाव
अग्निपथ स्कीम को लागू हुए डेढ़ साल हो चुके हैं और इस दौरान इस स्कीम की समीक्षा की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (DMA) ने तीनों सेनाओं से इस पर रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों के मुताबिक, चार साल के कार्यकाल को बढ़ाने, अधिक भर्ती करने और 25 प्रतिशत रिटेंशन की सीमा को बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन यह कितना होगा, इस पर अभी कुछ साफ नहीं हुआ है। इसके अलावा, ट्रेनिंग या ड्यूटी के दौरान किसी अग्निवीर के मौत या घायल होने की स्थिति में परिवार को आर्थिक सहायता देने पर भी टॉप लेवल पर विचार-विमर्श हो रहा है।
- भर्ती अवधि: अग्निवीरों की सेवा अवधि चार साल की होती है।
- प्रशिक्षण: अग्निवीरों को नौ महीने का औपचारिक बुनियादी प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद उन्हें यूनिट में तैनात किया जाता है जहां वे कार्य के दौरान शेष प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।
- सेवा के बाद का विकल्प: चार साल की सेवा अवधि समाप्त होने के बाद, 25% अग्निवीरों को स्थायी रूप से सेना में रखा जा सकता है। शेष 75% अग्निवीरों को सेवा समाप्ति पर एक निश्चित राशि और अन्य लाभ दिए जाएंगे।
- आर्थिक सहायता: सेवा के दौरान किसी अग्निवीर की मृत्यु या घायल होने की स्थिति में उसके परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
- छुट्टियाँ: अग्निवीरों को साल में 30 दिन की छुट्टी मिलती है, जबकि रेगुलर सैनिकों को साल में 90 दिन की छुट्टी मिलती है।
- वेतन और भत्ते: अग्निवीरों को सेवा के दौरान वेतन और अन्य भत्ते दिए जाते हैं। सेवा समाप्ति पर उन्हें एकमुश्त राशि दी जाती है, जिसे सेवा निधि पैकेज कहा जाता है।
- भविष्य की योजना: अग्निपथ योजना को समय-समय पर समीक्षा और आवश्यक परिवर्तन के लिए तैयार किया गया है। विभिन्न सुझावों और आवश्यकताओं के अनुसार, सेवा अवधि बढ़ाने और अन्य बदलावों पर विचार किया जा रहा है।