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पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के बीच गेहूं से भी महंगा जौ चर्चा का विषय बन गया है। बाजार में गेहूं 2400 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है वहीं जौ के भाव पहली बार रिकॉर्ड 3000 रुपए क्विंटल तक पहुंच गए हैं। माल्ट कंपनियों की मांग की तुलना में उत्पादन कम होने से पिछले 15 दिन में जौ के भाव में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसका मुख्य कारण कम उत्पादन के साथ आवक कम होना है।
यूक्रेन व रूस से होता है 60% से ज्यादा आयात : भारत में जौ की पैदावार कम और खपत ज्यादा है। इस लिए विदेशों से जौ की आयात किया जाता है। व्यापारियों की मानें तो देश में सबसे ज्यादा जौ यूक्रेन व रूस से आता है। जहां से आयात का 60 फीसदी जौ मिलता है। इसके अलावा आस्ट्रेलिया व आस्ट्रिया का भी जौ बाजार में उपलब्ध है, लेकिन रूस के यूक्रेन पर किए गए हमले से आवक कम हुई है। मांग ज्यादा होने व पैदावार कम होने से भी जौ के भाव आसमान छू रहे है।
माल्ट कंपनियों में 80% खपत, पूरे साल का स्टॉक जमा करने की होड़
भारत में जौ की सबसे ज्यादा खपत माल्ट कंपनियों में होती है। कुल जौ की 80 फीसदी खरीद माल्ट कंपनियां करती है। जिससे वो साल भर तक कारखाना चलाने के काम आता है। जौ के इस माल्ट से बीयर बनाई जाती है। इसके अलावा जौ का सबसे ज्यादा उपयोग पशु आहार बनाने में किया जाता है।