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बांग्लादेश के रास्ते चावल-चीनी की तस्करी बढ़ा रही मुसीबत, क्या और बढेगी महंगाई ?

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भारत सरकार की ओर से दस लाख टन चीनी भेजने के इनकार के बाद बांग्लादेश में चीनी की तस्करी बढ़ गई है. मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि सरकार ने देश में सीमित उपलब्धता के चलते चीनी निर्यात की अनुमति नहीं दी. इसके अलावा, पिछले साल सितंबर में भारत ने डॉमेस्टिक मार्केट में सप्लाई बढ़ाने और कीमतों को कंट्रोल में रखने के लिए एक्सपोर्ट पर बैन लगाया.इसके बाद बाद पड़ोसी देशों में टूटे हुए चावल की तस्करी में भी इजाफा हुआ है. डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन यानी डीएफपीडी ने पिछले साल अक्टूबर में चीनी एक्सपोर्ट को ‘फ्री’ कैटेगिरी से ‘रिस्ट्रिक्टिड’ कैटेगिरी में ट्रांसफर कर दिया, जो डॉमेस्टिक सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए इस साल 30 अक्टूबर तक लागू रहेगा.

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3700 रुपए तक पहुंची चीनी की कीमतें

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एक्सपर्ट्स का मानना है कि सितंबर में समाप्त होने वाले चालू सीजन के लिए फाइनल स्टॉक 55 लाख टन से कम नहीं होने वाला है, जो अक्टूबर से शुरू होने वाले नए सीजन के पहले दो महीनों के लिए पर्याप्त है. मार्च के बाद से अब तक एक्स-मिल चीनी की कीमतें 6.5 फीसदी बढ़ी हैं और वर्तमान में, कीमतें यूपी में 3,600-3,700 रुपये प्रति क्विंटल और महाराष्ट्र में 3,470-3,525 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं. दरअसल तस्करी का मामला देश में नया नहीं है, चीनी के साथ चावल की बात करें तो यहां भी केवल बांग्लादेश ही नहीं बल्कि नेपाल के रास्ते भी तस्करी के मामले सामने आए है. सरकार की ओर से चावल निर्यात पर बैन किए जाने के बाद तस्कर सक्रिय हो चुके हैं और अलग अलग तरीके अपनाकर तस्करी का जाल फैला रहे हैं.

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चावल की कीमतों में भी इजाफा

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अभी हाल ही में भारत सरकार की ओर से नॉन बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया है. जिसके बाद अमेरिका जैसे पावरफुल देश में भी अफरातफरी फैल गई. दरअसल सरकार चाहती है कि चावल की कीमतें न बढ़े इसलिए निर्यात पर बैन किया गया. वहीं चावल की कीमतों बढ़ने में मॉनसून की भी अहम भूमिका रही है.मानसून के दौरान कहीं जरुरत से ज्यादा तो जरुरत से कम बारिश के कारण चावल की थोक कीमतों में 13.6 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. हाजिर कारोबार के मुताबिक थोक बाजार में औसत टूटे चावल की कीमत 2,500 रुपये प्रति क्विंटल तक जा पहुंची है

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तस्करी रोकने पर सरकार का फोकस

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सरकार को डर है कि तस्करी से चीनी स्टॉक में कमी आ सकती है और डॉमेस्किट लेवल पर कीमतें बढ़ सकती हैं. इन दोनों वस्तुओं की तस्करी के कारण फूड और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन मिनिस्ट्री ने बांग्लादेश के साथ 4,096 किलोमीटर लंबे इंटरनेशनल बॉर्डर की रक्षा करने वाले सीमा सुरक्षा बल, सुरक्षा एजेंसियों और कस्टम अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू की है. अधिकारियों का टारगेट इस तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए उपाय और रणनीतियां बनाना है. फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन, गृह मामले, कंज्यूमर मामले, कृषि और किसान कल्याण, वाणिज्य, विदेश मामले, कृषि और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी, भारतीय खाद्य निगम और बांग्लादेश सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. वैसे मार्च से चीनी की कीमतों में लगातार इजाफाा देखने को मिला है.

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3 से 4 लाख टन चीनी जा रहा बाहर

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर चीनी की तस्करी हो रही है, तो अधिकतम 3 से 4 लाख टन देश से बाहर जा सकता है, जिससे घरेलू कंजंप्शन पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है. एक्सपर्ट के अनुसार जहां तक ​​चीनी भंडार का सवाल है, भारत की स्थिति काफी ठीक है. 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) सीजन में चीनी का प्रोडक्शन 27.5 मिलियन टन की घरेलू खपत के मुकाबले 33 मिलियन टन से कम होने की संभावना नहीं है. तमिलनाडु और कर्नाटक में मिलों ने पहले ही स्पेशल सीजन में चीनी की पेराई शुरू कर दी है और हमें स्पेशल सीजन (जुलाई-सितंबर) में लगभग 300,000-400,000 टन अतिरिक्त चीनी मिल सकती है. इसलिए, डॉमेस्टिक सप्लाई में कमी की कोई गुंजाइश नहीं है.

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