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राजस्थान के बाड़मेर जिले की गुड़ामालानी विधानसभा सीट को जाट समाज का गढ़ माना जाता है. इस सीट से 13 बार जाट समाज का विधायक चुना गया है. जाट समाज के दबदबे का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जोधपुर से दिग्गज जाट नेता परसराम मदेरणा ने भी इस सीट से चुनाव लड़ा और जातीय समीकरण के चलते यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक बिश्नोई समाज का है, लेकिन 2013 में सिर्फ एक बिश्नोई समाज इस सीट को जीतने में कामयाब हो पाया है. बीजेपी का कमल इस सीट से 2013 में सिर्फ लादूराम विश्नोई ही खिलाने में सफल हो पाए हैं. दिग्गज जाट के नेता रामदान चौधरी विधायक रहे. उनके बाद उनके बेटे गंगाराम चौधरी भी कांग्रेस से इस सीट पर जीतने में कामयाब रहे, लेकिन गंगाराम चौधरी के जनता दल में जाने से 1980 के बाद हेमाराम चौधरी ने कांग्रेस से लगातार दो बार जीतकर अपना वर्चस्व कायम किया. इसके बाद कांग्रेस से पहली बार महिला विधायक मदन कौर बनीं. इसके बाद हेमाराम चौधरी ने परसराम मदेरणा के लिए अपनी सीट छोड़ी और परसराम मदेरणा इस सीट से जीतकर विधायक बने और उसके बाद से लगातार चार बार हेमाराम चौधरी सीट से विधायक बने. इस दौरान हुए गहलोत की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद भी संभाला. 2013 के विधानसभा चुनाव में हेमाराम चौधरी को पहली बार हार का सामना करना पड़ा. इस विधानसभा चुनाव में हेमाराम चौधरी के विरुद्ध लगातार तीन चुनाव हारने वाले लादूराम विश्नोई आखिरकार जाटों के गढ़ माने जाने वाली गुड़ामालानी विधानसभा में सेंधमारी करने में कामयाब रहे.
हेमाराम चौधरी के संन्यास की घोषणा, लेकिन वापसी की और जीते
2013 के विधानसभा चुनावों के बाद हेमाराम चौधरी के पुत्र वीरेंद्र का कैंसर के चलते निधन हो गया, जिसके बाद हेमाराम चौधरी पूरी तरह से टूट गए और उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी. सचिन पायलट के मान मनोवल के बाद एक बार फिर 2018 में हेमाराम चौधरी चुनावी मैदान में उतरे और जीतकर गहलोत सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाए गए. इस बार भी इस सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है क्योंकि इस सीट पर हेमाराम चौधरी नए चेहरे को मौका देने की बात कह रहे हैं, लेकिन फिलहाल हेमाराम चौधरी के अलावा कोई और उम्मीदवार इस सीट से कांग्रेस को नजर नहीं आ रहा है.
बीजेपी से लादूराम विश्नोई बेटे के लिए मांग रहे हैं टिकट
वहीं बीजेपी की बात करें तो इस सीट पर हेमाराम चौधरी और कांग्रेस के गढ़ को पहली बार जीतकर विधायक बनने वाले लादूराम विश्नोई के पुत्र के के बिश्नोई बीजेपी से टिकट की मांग कर रहे हैं. केके के अलावा भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अन्नत राम भंवर भी दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन केके विश्नोई के अलावा दूसरा कोई नेता मजबूत स्थिति में नहीं दिख रहा है. इस सीट से इस बार हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी मैदान में है. ऐसे में इस सीट पर जबरदस्त टक्कर देखने को मिल सकती है.
इस सीट पर क्या हैं अहम मुद्दे?
गुड़ामालानी विधानसभा क्षेत्र जालौर-सांचौर और गुजरात से सटा हुआ है. यहां ज्यादातर आबादी खेती पर निर्भर है. यह क्षेत्र डबल क्रॉप एरिया है. यहां किसानों के लिए बिजली की उपलब्धता सबसे अहम मुद्दा है. इसके अलावा गुड़ामालानी क्षेत्र में केयर्न वेदांत ग्रुप द्वारा गैस का उत्पादन हो रहा है. इस गैस फील्ड में स्थानीय लोगों को रोजगार देने की मांग लंबे समय से चली आ रही है.