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राजस्थान के टोंक जिले में सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम की पोल खोल देने वाली तस्वीर सामने आई है. जहां एक ओर सरकार विकास के दम भरती है, लेकिन दूनी तहसील क्षेत्र की चारनेट पंचायत के केदार गांव में स्थिति इसके विपरीत है. बुधवार को एक वृद्ध का निधन होने के बाद उसके शव को ट्रेक्टर- ट्रॉली में रखकर शमशान तक ले जाने की तस्वीर सामने आई है. वृद्ध के अंतिम संस्कार के लिए चार कंधे भी नसीब नहीं हुए. उसके शव को लोग ट्रेक्टर – ट्रॉली में ले गए. इसके बाद उसका अंतिम संस्कार कराया. टोंक जिले का केदारा गांव कई सुविधाओं से वंचित है. आलम यह है कि श्मशान स्थल जाने वाला रास्ता अभी भी कीचड़ से भरा हुआ है. थोड़ी सी बारिश में यह रास्ता पूरी तरीके से खराब हो जाता है. दो दिन तक रुक-रुक के हुई बारिश से यह रास्ता बहुत ज्यादा खराब हो गया. पूरे रास्ते में कीचड़ फैला हुआ है. इसका खामियाजा वहां से गुजरने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
श्मशान के रास्ते के बारे में प्रशासन को दी गई जानकारी
बुधवार को केदारा निवासी मंगलराम बैरवा की मृत्यु हो गई. शमशान का रास्ता सही नहीं होने से शव को ग्रामीणों ने ट्रैक्टर- ट्राली में रखकर शमशान स्थक तक पहुंचाया, फिर उसका अंतिम संस्कार किया गया. ग्रामीण दुर्गा लाल मीणा, अविनाश मीणा, वार्ड पंच नरेश बैरवा का कहना है कि ग्राम पंचायत एवं प्रशासन को कई बार श्मशान के रास्ते के बारे में बताया गया है. प्रशासन की ओर से कोई सुनाई नहीं होने के कारण आज भी गांव में शमशान का रास्ता नहीं है. आज दिन तक गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है.
वोट डालने को राजी नहीं थे ग्रामीण
गांव के कई समस्याओं को देखते हुए ग्रामीणों ने पिछले दिनों मतदान नहीं करने का विचार भी बनाया था, लेकिन कार्यकर्ताओं एवं सरपंच के समझाने पर ग्रामीण मतदान करने को राजी हुए थे. गांव की स्थिति अभी भी दयनीय बनी हुई है. इसके चलते लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
चुनाव आचार सहिंता खत्म होते ही बनाई जाेगी सड़क
केदारा गांव की पंचायत चारनेट के सरपंच राजेश जाट ने बताया कि कीचड़ की वजह से लोगों को ऐसे कार्य में परेशानी होती है. गांव के पानी का निकासी इसी रास्ते से है. यह रास्ता काफी ढलान में है. अब आचार संहिता हटने के बाद इसे पक्का करवाने का प्रयास करूंगा. ये आबादी में नहीं होने से पक्का करवाने में नियम आड़े आ रहे है. कोई और रास्ता निकाला जाएगा.