REPORT TIMES
अंतरिक्ष के क्षेत्र में कामयाबी के लगातार झंडे गाड़ते जाने वाला भारत अब एक और कदम आगे बढ़ाने जा रहा है. भारत ने आकाश के साथ-साथ अंतरिक्ष की भी ताकत बनने का फैसला किया है और स्पेस फोर्स बनाने जा रहा है. भारतीय वायुसेना (IAF) ने इस मामले में चीन की बराबरी करने को लेकर रोडमैप भी तैयार कर लिया है. इसके तहत वायुसेना स्पेस के सिविल और मिलिट्री पहलुओं का पूरी तरह आकलन कर रही है. साथ उसका इंफ्रास्ट्रक्चर और सैद्धांतिक फ्रेमवर्क भी तैयार कर लिया गया है. यही नहीं अपनी नई भूमिका के लिए भारतीय वायुसेना अब जल्द ही अपने नए नाम के साथ नए अवतार में सामने आएगी. डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस एजेंसी के सहयोग से वायु सेना अंतरिक्ष की तमाम जरूरत को देखते हुए अपने कर्मियों की बड़े पैमाने पर ट्रेनिंग भी देगी. इसके तहत हैदराबाद में स्पेस वॉर ट्रेंनिंग कमांड भी स्थापित किया जा रहा है. इसी संस्थान के तहत स्पेस लॉ की ट्रेनिंग के लिए अलग से कॉलेज भी बनाए जाएंगे. इस कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून में दक्ष प्रोफेशनल फोर्स तैयार किए जाएंगे.
IAF उठाएगी 60 फीसदी खर्चा
अंतरिक्ष फोर्स बनने के लिए वायुसेना स्पेस उपग्रह की एक बड़ी फ्लीट तैयार करने जा रहा है. भारतीय वायुसेना अगले 7 से 8 सालों में निजी क्षेत्र की मदद से भारत में 100 से अधिक बड़े और छोटे सैन्य उपग्रहों को स्थापित करना चाहती है. इनका उपयोग कम्युनिकेशन वेदर प्रिडक्शन, नेवीगेशन, रियल टाइम सर्विलॉन्स जैसी गतिविधियों के लिए किया जाएगा. वायुसेना ने फैसला लिया है कि इन उपग्रहों के लॉन्च में होने वाली खर्च का 60% हिस्सा खुद उठाएगी. जबकि लॉन्चिंग में इसरो और डीआरडीओ की मुख्य भूमिका होगी. वायुसेना ने डीआरडीओ से ऐसे वायुयान पर भी काम करने का अनुरोध किया है जो स्पेस में समान रूप से उड़ान भर सके. डीआरडीओ इस पर अब काम कर रहा है. एयरोस्पेस से जुड़ी निजी कंपनियों को भी इसमें शामिल करने का प्रस्ताव है. ये भारत की अंतरिक्ष में मिलिट्राइजेशन की शुरुआत है. भविष्य की लड़ाइयां जमीन, समुद्र, आसमान के साथ ही साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी लड़ी जाएंगी. भारत सुरक्षा के लिए अंतरिक्ष में अपनी रक्षात्मक और आक्रामक दोनों ताकतों को बढ़ाने पर अब काम कर रहा है. प्रशासनिक स्तर पर एयरफोर्स एक ऐसी जॉइंट स्पेस कमान के गठन के हक में है जिसमें तीनों सैन्य बलों की हिस्सेदारी हो और इसरो तथा डीआरडीओ जैसे संगठनों को भी उसमें शामिल किया जाए. एयरोस्पेस से जुड़ी निजी कंपनियों को भी इसमें शामिल करने का प्रस्ताव है. भारतीय वायुसेना अब अपने अहम ठिकानों की सुरक्षा के लिए अंतरिक्ष में भी अपनी रक्षात्मक क्षमता बढ़ाना चाहती है. अंतरिक्ष में अमेरिका और चीन जैसे देश अपनी धाक जमाने की कोशिश में लगे हैं. ऐसे में भारत भी अंतरिक्ष में अपनी पकड़ मजबूत करने में लगा है. फिलहाल अंतरिक्ष सेना रूस और अमेरिका के अलावा चीन के पास है. जल्द ही इस लिस्ट में भारत भी में शामिलहोजाएगा.
क्या होती स्पेस फोर्स?
अंतरिक्ष सेना को ‘एस्ट्रॉनॉट सोल्जर’ समझा जा सकता है. जिसका मतलब हुआ कि ऐसे लड़ाके सैनिक जो अंतरिक्ष की रक्षा को लेकर ट्रेंड किए जाएंगे. हालांकि ये फोर्स थोड़ी अलग होती है क्योंकि ये लड़ाके अंतरिक्ष में तैनात नहीं किए जाएंगे बल्कि वहां पर अपने उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष व्हीकलों की सुरक्षा के लिए काम करेंगे. साल 2015 में चीन ने एक स्ट्रैटजिक सपॉर्ट फोर्स बनाया जो अंतरिक्ष, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक जगत से जुड़े युद्ध मिशन में शामिल होती है. इसी तरह का अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2019 में इस तरह की फोर्स बनाने की बात कही थी और फिर 10 महीने में यह तैयार हो गई थी.