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बूंदी जिले के अनरेठा रेलवे स्टेशन पर दिल्ली-मुंबई रेलवे लाइन पर विद्युत तार गिरने से बड़ा हादसा टल गया. तार सीधा पैसेंजर ट्रेन की बोगियां पर जाकर गिरा तो यात्रियों में हड़कंप मच गया. बताया जा रहा है कि देर रात अजमेर-जबलपुर दयोदय एक्सप्रेस से बिजली के ओएचई तार टूट गए. इसके बाद 4 घंटो तक तारों की मरम्मत का काम चला.
4 घंटे तक ठप रहा रेल संचालन
इस दौरान कोटा-सवाई माधोपुर के बीच करीब 4 घंटे तक रेल संचालन ठप रहा. रास्ते में घंटों ट्रेन खड़े रहने से यात्री परेशान होते रहे. घटना के बाद अधिकारी भी कोटा कंट्रोल रूम पहुंच गए. फिलहाल घटना के कारणों का पता नहीं चला है. अधिकारी मामले की जांच में जुटे हुए हैं. पर बताया जा रहा है कि जॉइंट खुलने से तार टूटने की यह घटना हुई. गनीमत यह रही की ट्रेन की बगियां में करंट नहीं तोड़ा वरना बड़ा हादसा हो सकता था.
पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं
जानकारी के अनुसार बूंदी रेल खंड पर ओएचई टूटने की यह पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी यहां ओएचई टूटने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. लेकिन किसी भी जांच रिपोर्ट के सामने नहीं आने से तार टूटने के कारणों का पता नहीं चला है. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रेन जैसे ही जयपुर, सवाईमाधोपुर होते हुए अनरेठा रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो अचानक से हल्के धमाके की आवाज आई और बाहर जाकर देखा तो और तार टूटे हुए पड़े थे. तार का कुछ हिस्सा एक बोगी पर भी पड़ा हुआ था. पता करने पर जानकारी में सामने आया की तार टूटने के साथ ही रेलवे प्रशासन को लोको पायलट ने सूचना दी तो तार में विद्युत प्रभाव को बंद करवाया गया.
इंजन का पैंटोग्राफ भी क्षतिग्रस्त
यात्रियों ने बताया कि इस घटना से ट्रेन के इंजन का पैंटोग्राफ भी क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद डीजल इंजन से ट्रेन को कोटा तक लाया गया. इसके चलते दयोदय ट्रेन करीब ढाई घंटे देरी से रात 11:45 बजे कोटा पहुंची. इसी तरह दिल्ली-मुंबई राजधानी (12952) तीन घंटा देरी से रात 12.30, निजामुद्दीन-मुंबई अगस्त क्रांति (12954). तीन घंटे देरी से रात एक बजे, जोधपुर-भोपाल 3:30 घंटे देरी से रात 2:25 बजे, जयपुर-चेन्नई पौने तीन घंटे देरी से रात 1:35 बजे तथा अमृतसर-मुंबई डीलक्स करीब साढे़ तीन घंटे देरी से रात 2.55 बजे कोटा पहुंची. इस दौरान ट्रेन में और स्टेशन पर यात्री परेशान होते रहे. यात्रियों ने बताया कि बार-बार पूछने के बाद भी रेलवे द्वारा ट्रेन के पहुंचने का सही समय नहीं बताया जा रहा था और न ही ट्रेन देरी से चलने के कारणों की घोषणा की जा रही थी. कई बार तो ट्रेन देरी से चलने को यात्रा का हिस्सा बताया गया.