REPORT TIMES
राजे रजवाड़ों की धरती राजस्थान की कमान कांग्रेस के पास है. पर सूबे के इस कांग्रेस ‘घराने’ में खटपट भी बहुत है. इस खटपट के दो किरदार हैं- अशोक गहलोत और सचिन पायलट. पिछले दिनों इन दोनों नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई कांग्रेस के ‘घराने’से निकल राष्ट्रीय पटल पर भी दिखाई दी. हालांकि दोनों किरदारों को दिल्ली दरबार में बुलाया गया. ‘घराने’ के दिग्गजों के साथ बैठक हुई. बैठक के बाद सभी हाथ में हाथ डाल चेहरों पर मुस्कान चिपकाए बाहर निकले. मुलाकात के बाद कांग्रेस का कुनबा भले ही ऑल इज वेल की फिल्मी धुन गुनगुना रहे थे, लेकिन चंद देर के लिए थमा ये तूफान सभी को दिखाई और सुनाई दे रहा था. हुआ भी यही. जैसे ही पायलट ने कुनबे के बड़े-बूढ़ों से मुलाकात के बाद फिर रजवाड़ों की धरती पर कदम रखा और तेवर तल्ख कर दिए. फिर से उन्होंने अपनी वो तीन मांग याद दिला दीं, जिनको लेकर वो धरना, यात्रा और अपनी ही पार्टी को अल्टीमेटम तक दे चुके थे. पायलट ने कहा कि मांगों पर हरगिज भी कदम पीछे नहीं खींचूंगा. अनुभवी गहलोत ने इस पर कुछ नहीं कहा.
RPSC से गहलोत का साफ इनकार
मामलों को लंबा खींचने वाले अपने चिर परिचित अंदाज में माहिर गहलोत ने इस मामले को भी दूर तक खींचा, ताकि चोट लगने के बाद वाले गरम रोष को समय के साथ ठंडा किया जाए फिर अपनी चाल चली जाए. अब उस मुलाकात को अच्छा खासा समय बीत चुका है. मुलाकात और एकसाथ वाली वो तस्वीरें भी जेहन से उतर चुकी हैं. इसी बीच अशोक गहलोत का एक इंटरव्यू सामने आया है. इसमें वो पायलट की उन तीन मांगों में से पहली मांग पर साफ इनकार करते दिखाई-सुनाई दिए गए हैं.
उनसे सवाल किया गया कि वो राजस्थान पब्लिक सर्विस कमिशन (RPSC) को भंग क्यों नहीं करते? गहलोत के जवाब से पहले पायलट की मांग जानते हैं. पायलट की मांग है कि RPSC को बंद किया जाए और इसकी जगह नई व्यवस्था लाई जाए. वो व्यवस्था को विस्तृत करते हुए कहते हैं कि ऐसा कानून बनाया जाए, जिसमें सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति की पूरी जांच कराई जाए. जांच भी ठीक वैसी जैसी जज की नियुक्ति के समय होती है.
जिन मांगों को लेकर पायलट ने अपनी ही पार्टी को अल्टीमेटम देडाला था, उन्हीं में से पहली मांग को मानने से गहलोत ने साफ इनकार कर दिया. इस मांग पर सीधा-सीधा इनकार करने से पहले गहलोत ने पायलट के पार्टी में कद को बताया. गहलोत ने कहा, “वो (सचिन पायलट) हमारे परिवार के सदस्य हैं. कांग्रेस के ही नेता हैं. उनकी बात का वजन रहता है. मैंने जब इसपर स्टडी कराई तो पता चला कि संविधान के अंदर ऐसा कुछ है नहीं कि आप इसको (RPSC) भंग कर के नया बना दो. ये संवैधानिक संस्था है और इसे भंग नहीं किया जा सकता.”
11 जून को सचिन पायलट की सभा
यानी गहलोत ने सीधे तौर पर कह दिया कि इस मांग पर कुछ नहीं हो सकता. तो अब सवाल उठता है कि पिछले तीन साल से अपनी ही सरकार की नाक में दम कर देने वाले पायलट फिर से बगावत की उड़ान भरेंगे. इसके कयास राजनीतिक गलियारों में खूब लगाए भी जा रहे हैं. इसको लेकर तारीख भी निकल आई है- 11 जून की. इसी दिन पायलट के पिता और कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता राजेश पायलट की पुण्यतिथि है. जानकार कह रहे हैं कि इसी दिन पायलट अपनी नई राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर सकते हैं.
हालांकि इन दावों को धता बताते हुए पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ऐसा कुछ होने वाला नहीं है. वेणुगोपाल का कहना है कि उन्होंने तीन-चार बार पायलट से बात की है और उनकी ऐसी कोई इच्छा नहीं है. कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता भले ही इस बात को नकार रहे हैं, लेकिन राजस्थान के गलियारों में ये चर्चा जोरों पर है. अपना रुतबा लगभग पार्टी में गंवा चुके पायलट क्या अपनी मांग को सरेआमा खारिज किए जाने के बाद भी क्या पार्टी के साथ ही रहेंगे या कुछ बड़ा कदम उठाएंगे… इसका जवाब तो 11 जून तक मिल जाएगा!