Report Times
latestOtherकरियरटॉप न्यूज़ताजा खबरेंराजनीतिराजस्थानस्पेशल

राजभवन में नहीं लग रहा मन, क्या फिर से राजस्थान में सियासत में लौट रहे राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया?

REPORT TIMES 

Advertisement

नई दिल्लीः राजस्थान के मेवाड़ की सियासत का बेताज बादशाह कहे जाने वाले गवर्नर गुलाबचंद कटारिया का असम राजभवन में मन नहीं लग रहा. वह पिछले चार महीने में चार बार राजस्थान के मेवाड़ का दौरा कर चुके हैं और बीजेपी के कार्यक्रम में भी खूब शिरकत कर रहे हैं. इतना ही नहीं कटारिया का कहना है कि पार्टी कहेगी तो चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गुलाबचंद कटारिया सक्रिय राजनीति में फिर से उतरने का मन बना रहे हैं और  विधानसभा चुनाव से पहले उनकी एंट्री हो सकती है? गुलाबचंद कटारिया ने इसी साल 22 फरवरी को असम के राज्यपाल के तौर पर शपथ ली थी, लेकिन उसके बाद से वह हर महीने राजस्थान का दौरा कर रहे हैं. इसी कड़ी में तीन दिन पहले ही गुलाबचंद कटारिया उदयपुर आए थे और नगर निगम के एक कार्यक्रम में शिरकत की थी. इस दौरान एक पार्षद ने उनका स्वागत करते हुए पूछा लिया कि आप उदयपुर से चुनाव लड़ने वाले हैं. इस पर उन्होंने कहा कि पार्टी का निर्णय सर्वमान्य है. पार्टी अगर कहेगी कि चुनाव लड़ना है तो लड़ेंगे और कहेगी की नहीं लड़ना तो नहीं लड़ेंगे?

Advertisement

Advertisement

पूरे राजस्थान में कटारिया को लेकर कयास

Advertisement

राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के बयान से उदयपुर ही नहीं बल्कि राजस्थान की सियासत में चर्चा तेज हो गई है कि विधानसभा चुनाव से पहले क्या वो सक्रिय राजनीति में फिर से वापसी करेंगे. कटारिया ने खुद के 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाली पार्टी पर तब डाली है, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मेवाड़ के दौरे पर आ रहे हैं. ऐसे में निश्चित तौर पर शाह से इस पर चर्चा हो सकती है.दिलचस्प बात यह है कि गुलाबचंद कटारिया भले ही चार महीने पहले असम के गवर्नर बना दिए गए थे, लेकिन राजस्थान और बीजेपी की सियासत से उनका मोह भंग नहीं हुआ. इसीलिए चार महीने में वह चार बार राजस्थान और उदयपुर का दौरा कर चुके हैं. हर बार वह बीजेपी और संघ से जुड़े कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे हैं. इतना ही नहीं गुलाबचंद कटारिया के उदयपुर दौरे पर प्रोटोकाल सिर्फ एयरपोर्ट तक ही रहता है और उसके बाद उनकी कार्यक्रम की घोषणा बीजेपी के द्वारा जारी की जाती है.

Advertisement

मेवाड क्षेत्र में कटारिया की जगह अभी तक खाली

Advertisement

राजस्थान की सियासत में ओेेेके हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए अभी तक मेवाड़ इलाके में कटारिया की भरपाई नहीं हो सकी है. मेवाड़ के इलाके में उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा जिले आते हैं. इन चार जिलों में कुल 28 विधानसभा सीटें आती है, जिनमें से 13 सीटें बीजेपी 2018 के विधानसभा चुनाव में जीतने में कामयाब रही थी. मेवाड़ को बीजेपी की सियासी प्रयोगशाला माना जाता है और गुलाबचंद कटारिया पार्टी के सबसे बड़े नेता रहे हैं. पार्टी मेवाड़ की 28 में से 20 सीटों पर कटारिया की पसंद और ना पसंद का पार्टी ख्याल रखती थी.

Advertisement

गुलाबचंद कटारिया खुद को राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के तौर पर देखते रहे हैं, लेकिन बीजेपी ने वसुंधरा राजे को आगे बढ़ाया था. इस बार पार्टी किसी भी चेहरे को सीएम चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट नहीं कर रही है, जिसके चलते कटारिया को लग रहा है कि अगर वो सक्रिय राजनीति में लौटते हैं और चुनावी मैदान में किस्मत आजमाते हैं तो उनके सितारे बुलंद हो सकते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कटारिया का मन असम के राजभवन में नहीं लग रहा और राजस्थान की सियासत में अपने लिए राह तलाश रहे हैं.

Advertisement
Advertisement

Related posts

राजस्थान में कोरोना के नए वेरिएंट JN-1 के 4 मरीज मिले, एक की हो चुकी मौत; जानें यह कितना घातक

Report Times

राजस्थान में BJP अध्यक्ष नड्डा का दो दिन मंदिर-गुरुद्वारा रन:आज नहरी क्षेत्र से चुनावी आगाज,10 हजार बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन से करेंगे मैनेजमेंट

Report Times

Report Times

Leave a Comment