Report Times
latestOtherकरियरकार्रवाईकोटाक्राइमटॉप न्यूज़ताजा खबरेंराजस्थानस्पेशल

7 साल में 121 सुसाइड… छात्रों के लिए ‘मौत का जंक्शन’ क्यों बन रहा कोटा?

REPORT TIMES 

Advertisement

राजस्थान के कोटा में बच्चों के सुसाइड का मामला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. तीन दिन पहले ही एक और छात्र ने मौत को गले लगा लिया. 20 साल का यह छात्र नीट का तैयारी कर रहा था और पिछले साल ही कोटा आया था. इस साल अब तक कोटा में 26 बच्चे सुसाइड कर चुके हैं. पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, बीते सात साल में 121 बच्चों ने आत्महत्या की है. ये आंकड़ा 2015 से लेकर 2023 तक का है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि कोटा छात्रों के लिए मौत का जंक्शन क्यों बन रहा है?

Advertisement

7 साल में 121 बच्चों ने की आत्महत्या

Advertisement

डॉक्टर और इंजीनियर बनने की चाहत रखने वाले बच्चे बड़े ही उम्मीद के साथ कोटा आते हैं लेकिन अचानक से उनके खुदकुश की खबर काफी हैरान व परेशान करती है. पिछले सात साल में 121 बच्चों ने मौत को गले लगाया है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि देश के सबसे बड़े कोटिंग हब माने जाने वाले कोटा में आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. बच्चे क्यों ये कदम उठा लेते हैं. 2020 और 2021 को अगर छोड़ दिया जाए तो 2015 से लेकर 2023 तक 121 बच्चों ने खुदकुशी की है. एक नजर आंकड़ों पर…

Advertisement

Advertisement
  • 2015- 18
  • 2016- 17
  • 2017- 7
  • 2018- 20
  • 2019- 18
  • 2022- 15
  • 2023- 26*

बच्चे क्यों उठाते हैं सुसाइड जैसे कदम?

Advertisement

बता दें कि कोटा में लगभग हर महीने बच्चों के सुसाइड के मामले सामने आ जाते हैं. कामयाबी के सपने देखने वाले ये छात्र तनाव के बोझ तले दबकर ये कदम उठा लेते हैं. तनाव पढ़ाई का, तनाव पैरेंट्स का, तनाव कुछ बनने का, तनाव कोचिंग संस्थान का…तनाव असफल होने का. अधिकतर मामलों में यही चीजें सामने निकलकर आती हैं. ऐसा नहीं है कि कोटा में बच्चे सफल नहीं होते हैं.

Advertisement

बच्चों को सपने दिखाने वाले कोटा का एक स्याह सच ये भी

Advertisement

हर साल हजारों बच्चे यहां से निकलकर डॉक्टर, इंजीनियर और न जाने क्या क्या. अपने सपने को साकार करते हैं. मगर कुछ बच्चे माता-पिता के दबाव और कामयाबी नहीं हासिल करने के डर से मौत को गले लगा लेते हैं.

Advertisement

हां, इसमें कुछ अपवाद हो सकते हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में यही कारण होते हैं. बच्चों को सपने दिखाने वाला कोटा आज बच्चों की ‘खुदकुशी’ के लिए बदनाम है. कोटा आज छात्रों के लिए ‘मौत का जंक्शन’ बन गया है, जो चिंता का विषय है.

Advertisement

बच्चों की आत्महत्या के लिए पैरेंट्स ही जिम्मेदार-SC

Advertisement

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए बच्चों के माता पिता को जिम्मेदार ठहराया था. एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि कोटा में बच्चों की आत्महत्या के लिए उसके पैरेंट्स ही जिम्मेदार हैं. पैरेंट्स बच्चों से उसकी क्षमता से ज्यादा उम्मीद लगा लेते हैं. इसके कारण बच्चे दबाव में आ जाते हैं और खुदकुशी जैसे कदम उठा लेते हैं.

Advertisement
Advertisement

Related posts

चिड़ावा में ढाई करोड़ की लागत से होगा बस स्टैंड का विकास

Report Times

BJP के नए अध्यक्ष ने बताया गुटबाजी से निपटने का प्लान, बोले-‘मैं किसी गुट का नहीं हूं’

Report Times

सरपंच संघ ने की बीएसआर दर में बदलाव की मांग, सरपंच संघ ने दिया बीडीओ को ज्ञापन

Report Times

Leave a Comment